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फायदेमंद पौधा घर में जरूर लगाए - शुभ दिन और इसके प्रभाव जाने
पौधो का इंसान के जीवन में बहुत ही अच्छा और अधिक प्रभाव होता है। इससे इंसान के जीने और सवस्थ को लेकर कई बाते जुडी है। साथ ही में यह लगाने से आपके जीवन में और भी कई तरह के अच्छे प्रभाव है जो आपको इस पोस्ट में मिलेंगे। अशोक का पौधा यह आपके जीवन में कई तरह के सकारात्म ऊर्जाओं का स्रोत्र है। यह आपके लिए भी साथ में आपके स्वस्थ में भी बहुत बढ़िया है। बगिचे में इसे लगाने से नकारात्मक ऊर्जाओं से छुटकारा मिलता है। आपके बिज़नेस में आर्थिक उन्नति कइ लिए बहुत फायदेमंद है। जिन लोगो का व्यापार चलते चलते रूक गया है या फिर उन्नति के प्रथम स्थान से होकर वहीं खड़ा है उनको इस पौधे के बीज को एक लाल रंग के कपडे में लपेट के व्यवसाय करने की जगह पर रखना चाहिए। अगले दिन से मिलेगापको शुभ समाचार।
फायदेमंद आंवले का पौधा
आंवले का पौधा घर में लगाने से बहुत ही अच्छा फायदा मिलता है। आपके घर में धन की बढ़ोतरी होती है और सुख समृधि का वास होता है। जैसे जैसे यह पौधा बड़ा होता है उतनी ज्यादा समृधि आपके घर में बनने लगती है। यह पौधे की रोज पूजा भी करे। क्योंकि यह पौधा बहुत ही ज्यादा शुभ है। इसके साथ आपके जीवन की मनोबलता बढ़ती है।
नीचे कुछ पौधे और है जिनको लगाने से घर में फायदा होता है :
अनार का पौधा लगाने से आपके कर्जे खत्म होते है।
हल्दी का पौधा लगाने से घर खुशाल बनता है।
कृष्णकांता का बेल लगाए जिसके ऊपर नील रंग के फूल आते है आर्थिक समस्या खत्म होती है।
मान सम्मान को बढ़ता है नारियल का पेड़।
आम का पेड़ घर में कभी अकेला न लगाए क्योंकि यह आपके बच्चे के लिए नुकसानदायी है इसके साथ आप नारियल, निम् और अशोक का पौधा लगा सकते है।
बेल वाले पौधे लगाए अपने घर के मुख्य दरवाज़े के बाहर लगाए।
बरगद का पेड़ लगाए परन्तु इसे अपने घर में नहीं बल्कि मंदिर के बाहर लगाना शुभ है। यह वातावरण को शुद्ध रखता है।
तुलसी के पौधे का फायदा
तुलसी का पौधा घर में लगाना बहुत ही ज्यादा शुभ है इसके घर में होने रोज इसकी पूजा करने और इसको जल का छींटा देने से आपके घर में बुराई का नाश हो जाता है। अगर कोई बुरी शक्ति आपके घर के आस पास मंडरा रही है तो यह आपके लिए बहुत फायदेमंद है। यह नकारात्म ऊर्जा का नाश भी करता है। आपको स्वस्थ को भी ठीक रखने में इसका बहुत बड़ा हाथ होता है। सत्यनाशी पौधे को लगाने से कई तरह की बीमारियों का सफाया होता है जैसे कि : दाद, पथरी, अस्थमा, कुष्ठ रोग, पीलिया, पेट दर्द, कान दर्द, बवासीर, हकलाना, तुतलाना, कब्ज, खांसी, खुजली, एकिज्मा, मुँह के छाले, अंधापन, मूत्रविकार, मलेरिया, दांतो में कीड़े, नाक के रोग खत्म होते है। इन दोनों पौधे को एक दूरसे के सामने न लगाए बल्कि तुसी का पौधा घर के सामने और सत्यानाशी पौधा घर के पीछे लगाए। इसे जरूर जाने : बुधवार और शुक्रवार के दिन ही किसी पौधे को लगाना शुभ माना जाता है।
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#सौंफ_के_फायदे
सौंफ का उपयोग प्राचीन काल से मुंह को शुद्ध (Mouth Freshner) करने और घरेलू औषधि के रूप में होता आ रहा है।
👉 1-2 ग्राम सौंफ की जड़ के चूर्ण का सेवन करने से कब्ज में लाभ होता है। सौंफ के बीज का काढ़ा बना लें। इसे 5-10 मिली मात्रा में भोजन के प्रत्येक ग्रास के साथ छोटे बच्चों को पिलाने से बच्चों का कब्ज ठीक होता है।
👉 सौंफ को पानी के साथ पीसकर ललाट पर लगाने से सिरदर्द से आराम मिलती है। सौंफ खाने से सिरदर्द से आराम मिलता है।
👉 सौंफ के पत्तों के 5 मिली रस को 100 मिली दूध में मिलाकर पीने से स्तनपान कराने वाली महिलाओं में दूध की वृद्धि होती है।
👉 सौंफ का काढ़ा बनाकर उसमें फिटकरी मिलाकर गरारा करने से मुँह के छालों में लाभ होता है। सौंफ में बराबर मिश्री मिलाकर सेवन करने से मुँह से बदबू आने की परेशानी ठीक होती है।
👉 15-30 मिली सौंफ काढ़ा में मिश्री तथा गाय का दूध मिलाकर पिएं। इससे हकलाना की परेशानी कम होती है।
👉 बराबर-बराबर भाग में सौंफ, बिडंग, बनायं तथा काली मिर्च का चूर्ण लें। इसे 2-5 ग्राम की मात्रा में गुनगुने जल के साथ सेवन करने से भूख बढ़ती है।
👉 सौंफ के पत्तों का रस 5 मिली का सेवन करने से मूत्राशय की सूजन ठीक होती है। सौंफ के फलों को पीसकर शर्बत बनाकर पीने से पेशाब की जलन शांत होती है
👉 सौंफ, वच, कूठ, देवदारु, रेणुका, धनिया, खस तथा नागरमोथा को बराबर मात्रा में लेकर उसका काढ़ा बना लें। इसमें मधु तथा मिश्री मिला लें। इसे 25-50 मिली की मात्रा में सुबह और शाम पीने से वात दोष के कारण होने वाला बुखार ठीक हो जाता है
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वात व पित्त के साथ ही तमाम रोगों से छुटकारा दिलाने में सहायक है सौंफ Divya Sandesh
#Divyasandesh
वात व पित्त के साथ ही तमाम रोगों से छुटकारा दिलाने में सहायक है सौंफ
लखनऊ। भोजन के बाद सौंफ खाने की पुरानी परंपरा रही है। यह परंपरा यूं ही नहीं है। विटामिन सी, आयरन, मैगनीज से भरपूर सौंफ भोजन को पचाने में बहुत सहायक है। इसके साथ ही सांस, वात से संबंधित रोगों से छुटकारा दिलाने में भी सहायक है।
इस संबंध में आयुर्वेदाचार्य डॉक्टर एसके राय ने बताया कि एक चम्मच (छह ग्राम) सौंफ में दो ग्राम फाइबर, दैनिक जरूरत का एक प्रतिशत विटामिन सी, पांच प्रतिशत कैल्शियम, छह प्रतिशत आयरन, पांच प्रतिशत मैग्निशियम, दो प्रतिशत पोटेशियम, 17 प्रतिशत मैगनीज पाया जाता है। उन्होंने हिन्दुस्थान समाचार से विशेष वार्ता में कहा कि सौंफ वात के साथ ही पित्त को शांत करता है। इससे भूख बढ़ती है और भोजन पचता है। वीर्य की वृद्धि करता है। हृदय, मस्तिष्क तथा शरीर के लिए लाभकारी होता है। यह गठिया, बुखार आदि वात रोग, घावों, दर्द, आँखों के रोग, अपच, कब्ज की समस्या में फायदा पहुंचाता है। इसके साथ ही यह पेट में कीड़े, प्यास, उल्टी, पेचिश, बवासीर, टीबी आदि रोगों को ठीक करने में भी सहायता करता है। इसके अलावा सौंफ का प्रयोग कई अन्य रोगों में भी किया जाता है।
उन्होंने कहा कि सौंफ की जड़ के चूर्ण का सेवन करने से कब्ज में लाभ होता है। इसके बीज का 5-10 मिली मात्रा में भोजन के प्रत्येक ग्रास के साथ छोटे बच्चों को पिलाने पर कब्ज ��ूर होता है। इसके सेवन करने से डकार और पेट की गैस की समस्या ठीक होती है।
डॉ. राय ने बताया कि इसको पानी के साथ पीसकर ललाट पर लगाने से सिरदर्द से आराम मिलता है। सौंफ के पत्ते के रस में रूई को भिगोकर आंखों पर रखने से जलन, दर्द तथा लालिमा की परेशानी ठीक होती है। इसके नियमित सेवन करने से आंखों के रोग ठीक होते हैं तथा आंखों की रोशनी बढ़ती है। सौंफ खाने से आंख के रोग में फायदा मिलता है।
ये खबर भी पढ़ें : दुनिया की सबसे तीखी और तेज मिर्च, चखते ही उड़ जांएगे होश
उन्होंने बताया कि अंजीर के साथ सौंफ का सेवन करने से सूखी खांसी, गले की सूजन से राहत जल्दी मिलती है। इसका काढ़ा बनाकर उसमें फिटकरी मिलाकर गरारा करने से मुंह के छालों में लाभ होता है। सौंफ में बराबर मिश्री मिलाकर सेवन करने से मुंह से बदबू आने की परेशानी ठीक होती है। हकलाने की बीमारी में 15-30 मिली सौंफ काढ़ा में मिश्री तथा गाय का दूध मिलाकर पिएं। इससे हकलाना की परेशानी कम होती है।
उन्होंने कहा कि सौंफ, वच, कूठ, देवदारु, रेणुका, धनिया, खस तथा नागरमोथा को बराबर मात्रा में लेकर उसका काढ़ा बना लें। इसमें मधु तथा मिश्री मिला लें। इसे 25-50 मिली की मात्रा में सुबह और शाम पीने से वात दोष के कारण होने वाला बुखार ठीक हो जाता है।
उन्होंने कहा कि 5-10 मिली सौंफ पत्तों के रस को पीने से पूरे शरीर का दर्द ठीक होता है। उन्होंने कहा कि 10-30 मिली सौंफ काढ़ा में नमक मिलाकर पीने से अधिक नींद आने की परेशानी ठीक होती है। 10-30 मिली सौंफ के काढ़ा में 100 मिली गाय का दूध तथा घी मिलाकर पिलाने से नींद अच्छी आती है।
डॉ राय ने कहा कि 6-12 ग्राम शतपुष्पादि घी को गुनगुने दूध अथवा जल के साथ सेवन करें। इससे वात, पित्त, मेद, मूत्र रोग में फायदा होता है। इसके साथ ही मोटापा, फाइलेरिया (हाथीपाँव) तथा लीवर और तिल्ली की वृद्धि जैसी बीमारी में लाभ होता है।
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ऋतिक की कैसे दूर हुई थी हकलाहट? क्लास-6 के स्टूडेंट्स को पढ़ाया जा रहा
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ऋतिक की कैसे दूर हुई थी हकलाहट? क्लास-6 के स्टूडेंट्स को पढ़ाया जा रहा
हकलाना और बोलने में दिक्कत पर जीत के साथ ऋतिक रोशन का सफर सभी के लिए प्रेरणादायक रहा है. अब उनकी कहानी कक्षा 6 के छात्रों को पढ़ाई जा रही है. एस चंद पब्लिकेशंस की पाठ्यपुस्तक ‘लाइफ एंड वैल्यूज’ में आत्मविश्वास पर आधारित अध्याय के तहत बॉलुवीड स्टार ऋृतिक रोशन की कहानी पढ़ाई जा रही है. बता दें कि ऋृतिक बचपन में हकलाते थे. बड़ी मुश्किल से उन्होंने ठीक तरीके से बोलना सीखा था.
इंटरनेट पर एक तस्वीर खूब वायरल हो रही है, जहां सेल्फ कॉन्फिडेंस के चैप्टर में इस परेशानी के खिलाफ उनकी लड़ाई को दिखाया गया है. सोशल मीडिया पर एक हैंडल ने साझा करते हुए लिखा,” बोर हो रहा था तो मैंने अपनी भांजी की किताब पढ़ी और सरप्राइज हो गया. ये 6 क्लास की किताब है. इसमें ऋतिक रोशन की कहानी पढ़ाई जा रही है.”
Felt bored, so I was reading a textbook of my niece. I was surprised to see this page. This is from the value education textbook of class 6. Whoelse can teach self-confidence better than him?Proud of you @iHrithik sir❤️ @HrfcTamilnadu @HrithikRules @HrithikInspires pic.twitter.com/ukwlDkqa0N
— Aruna Mahendran (@aruna_mahendran) March 29, 2020
इससे पहले, ऋृतिक द्वारा अपनी कमियों को हावी नहीं होने देने पर भी अंतर्राष्ट्रीय लेखक बेन ब्रूक्स ने एक लेख लिखा था. स्टोरीज फॉर बॉयज हू डेयर टू बी डिफरेंट में भी ऋतिक की कहानी है.
ऋतिक की कहानी कैसे बनी प्रेरणादायक
स्टूडेंट्स को जो किताब पढ़ाई जा रही है उसमें सभी संघर्षों को एक साथ रखा गया है. कैसे वह हकलाने के कारण बात करने से घृणा करते थे? घुमावदार रीढ़ की हड्डी से ग्रस्त एक स्थिति के साथ जीवन का नेतृत्व करना और अब अभिनेता द्वारा इन सभी परेशानियों को कठोरता और दृढ़ संकल्प के साथ मात देने की भावना को भी किताब में बताया गया है. एक्टर की कहानी को एक प्रेरणा के रूप में पेश किया गया है.
द कपिल शर्मा शो के इस सीन को देख आज भी इमोशनल हो जाते हैं सुनील ग्रोवर
करीना ने किया अर्जुन कपूर को ट्रोल, कहा- पहले तुम घर का काम करके दिखाओ
ऋतिक का फिल्मी करियर अभी कैसा है?
फिल्मों की बात करें तो, ऋतिक के लिए दो बैक टू बैक हिट के साथ 2019 कमाई के लिहाज से अच्छा रहा. सुपर 30 और वॉर ने न केवल दर्शकों का दिल जीता बल्कि रिकॉर्ड तोड़ते हुए बॉक्स ऑफिस पर भी सफलता का परचम लहराया था. चुनौतीपूर्ण किरदार की विरासत को आगे बढ़ाते हुए, अभिनेता ने सुपर 30 के बाद न केवल फिर से फिट होने की चुनौती से हाथ मिलाया बल्कि उस पर शानदार प्रदर्शन करते हुए सभी कर ��िया और वह भी महज दो महीने के भीतर! ऋतिक रोशन की वॉर 2019 की अब तक की सबसे बड़ी फिल्म बन गई है और बॉक्स ऑफिस पर करोड़ों का कारोबार की.
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गोरापन-गंजापन-लंबाई बढ़ाने जैसी 78 बीमारियों का झूठा इलाज करने का दावा करने पर होगी 5 साल की जेल और 50 लाख जुर्माना
चैतन्य भारत न्यूज नई दिल्ली. आपने अक्सर बस, ट्रेन या किसी सार्वजनिक स्थान पर ऐसे विज्ञापन देखे होंगे जिनमें किसी समस्या के जड़ से खत्म करने या उसे कम करने का दावा किया जाता है। लालच में आकर ग्राहक उन वस्तुओं को खरीद तो लेते हैं लेकिन उसे इस्तेमाल करने के बाद सभी दावे फेल हो जाते हैं। ऐसे दावे करने वाले विज्ञापनदाताओं के खिलाफ अब सरकार सख्त कदम उठाने जा रही है। (adsbygoogle = window.adsbygoogle || ).push({}); स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय ने ड्रग्स एंड मैजिक रेमेडीज कानून (आपत्तिजनक विज्ञापन अधिनियम, 1954) में संशोधन का प्रस्ताव दिया है। इसके तहत अब झूठे दावे करने वालों को पांच साल तक की जेल की कड़ी सजा और 50 लाख रुपए तक का जुर्माना हो सकता है। इस संशोधन के जरिए कानून का दायरा प्रिंट मीडिया से बढ़ाकर इलेक्ट्रॉनिक और डिजिटल मीडिया तक बढ़ाया जा रहा है। साथ ही एलोपैथिक दवाओं के अलावा होम्योपैथ, आयुर्वेद, यूनानी और सिद्ध दवाओं को भी कानून के दायरे में लाया जा रहा है। स्वास्थ्य मंत्रालय द्वारा जारी सूचना में कहा गया है कि, बदलते समय और प्रौद्योगिकी के साथ तालमेल रखने के लिए स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय ड्रग्स एंड मैजिक रेमेडीज (आपत्तिजनक विज्ञापन) अधिनियम, 1954 में संशोधन करने का प्रस्ताव कर रहा है। इसे लेकर एक मसौदा भी तैयार किया गया है, जिसे सार्वजनिक भी किया जाएगा। संशोधित नियम में वस्तु के पैकेट और उसके लेबल को भी शामिल किया गया है। इसमें दंड और अधिनियम के दायरे में आने वाली बीमारियों को भी स्पष्ट रूप से परिभाषित किया गया है। मंत्रालय ने बिल में यह प्रस्ताव रखा है कि दवाओं का विज्ञापन बंद हो जाना चाहिए। इसके अलावा 78 ऐसी बीमारियों की पहचान की गई है जिन्हें ठीक करने का दावा करने वाले प्रोडक्ट के विज्ञापन पर रोक होगी। बता दें मौजूदा कानून में ऐसी 54 बीमारियों को चिह्नित किया गया है। नए कानून में यौन प्रदर्शन, यौन नपुंसकता, शीघ्रपतन और शुक्राणु की वृद्धि, त्वचा में ग्लो लाना, समय से पहले बूढ़ा होना, एड्स, याददाश्त में सुधार, बच्चों/वयस्कों में सुधार, यौन अंग के आकार में सुधार, यौन प्रदर्शन का समय बढ़ाना, बालों का समय से पहले सफेद होना, हकलाना, महिलाओं में बांझपन, मासिक धर्म प्रवाह, हिस्टीरिया के विकार, कायाकल्प करने की शक्ति, मोटापा, रखरखाव या यौन सुख के लिए ��ंसान की क्षमता में सुधार, आकार और आकार में सुधार, अंग और यौन प्रदर्शन की अवधि में, पागलपन, मस्तिष्क की क्षमता में वृद्धि और स्मृति में सुधार और बच्चों/वयस्कों की ऊंचाई में सुधार के लिए दवाओं या उपचार के विज्ञापन शामिल हैं। ड्रग्स एंड मैजिक रेमेडीज बिल 2020 के मुताबिक, पहली बार शर्तों का उल्लंघन करने पर 10 लाख रुपए तक का जुर्माना और 2 साल तक की सजा हो सकती है। दूसरी बार उल्लंघन करने पर 50 लाख रुपए तक का जुर्माना और 5 साल तक की जेल हो सकती है। स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय के अनुसार, बदलते समय और तकनीक को ध्यान में रखते हुए एक्ट में बदलाव करने का फैसला लिया गया है। Read the full article
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वर्टिगो के कारण, लक्षण और घरेलू इलाज – Vertigo Home Remedies in Hindi
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वर्टिगो के कारण, लक्षण और घरेलू इलाज – Vertigo Home Remedies in Hindi
Soumya Vyas Hyderabd040-395603080 August 5, 2019
कुछ लोगों को चलते-चलते या अचानक खड़े होने पर सिर का चक्कर आने लगता है और अपना शारीरिक संतुलन बनाए रखने में समस्या होती है। ऐसे में लगता है, जैसे आस-पास की सारी चीजें घूम रही हैं। अगर आप भी ऐसा महसूस कर रहे हैं, तो आपको वर्टिगो के लक्षण हो सकते हैं (1)। वर्टिगो के कुछ गंभीर मामलों में व्यक्ति बेहोश भी हो सकता है, लेकिन ऐसा हर बार नहीं होता (2)। यहां हम स्पष्ट कर दें कि ऊंचाई के डर को वर्टिगो नहीं कहते। इसे एक्रोफोबिया कहा जाता है और वह वर्टिगो से बहुत अलग होता है।
स्टाइलक्रेज के लेख में हम इसी मुद्दे पर चर्चा करेंगे। साथ ही हम न सिर्फ आपको वर्टिगो के कारण और लक्षणों के बारे में बताएंगे, बल्कि वर्टिगो के घरेलू उपचार के बारे में भी पूरी जानकारी देंगे।
आइए अब जानते हैं कि वर्टिगो के कारण क्या हैं।
विषय सूची
वर्टिगो के कारण – What Causes Vertigo in Hindi
वर्टिगो के कारण की बात करें, तो यह वेस्टिबुलर सिस्टम (कान का आंतरिक हिस्सा, जो शरीर के संतुलन को नियंत्रित करता है) से जुड़ी समस्या की वजह से होता है। इसे पेरिफेरल वर्टिगो (Peripheral vertigo) कहा जाता है। ऐसे में, व्यक्ति को अपना संतुलन बनाने में परेशानी होती है (1)।
पेरिफेरल वर्टिगो के निम्नलिखित कारण हो सकते हैं:
बेनाइन पैरॉक्सिज्मल पोजिशनल वर्टिगो (Benign Paroxysmal Positional Vertigo – BPPV): इस दौरान कैल्शियम के छोटे-छोटे कण कान के आतंरिक हिस्से में इकट्ठा हो जाते हैं, जिससे कान से दिमाग को भेजे जाने वाले संदेश प्रभावित होते है और संतुलन बनाए रखने में समस्या होती है (3)।
सिर पर चोट
वेस्टिबुलर तंत्रिका की सूजन
भीतरी कान की सूजन और जलन
मेनिएरे रोग (कान के भीतरी हिस्से से जुड़ा विकार)
वेस्टिब्युलर तंत्रिका पर दबाव
एक अन्य प्रकार का वर्टिगो होता है, जिसे सेंट्रल वर्टिगो कहा जाता है। यह दिमाग के निचले या पिछले हिस्से (सेरिबैलम) में समस्या से होता है। इसके कारण पेरिफेरल वर्टिगो से कुछ अलग हो सकते हैं, जैसे (1):
रक्त रोग
कुछ दवाएं, जैसे एंटीकॉनवल्सेन्ट्स, एस्पिरिन का दुष्प्रभाव
शराब का सेवन
मल्टीपल स्क्लेरोसिस (Multiple sclerosis)
स्ट्रोक
ट्यूमर (कैंसर या गैर-कैंसर)
माइग्रेन
आइये अब वर्टिगो के लक्षण के बारे में जानते हैं।
वर्टिगो के लक्षण – Symptoms of Vertigo in Hindi
सिर घूमना और सिर का चक्कर आना वर्टिगो के आम लक्षण है। इसके अलावा भी कुछ लक्षण हैं, जिनसे आप वर्टिगो का पता लगा सकते हैं (1) (4)।
ठीक से सुनाई न देना
टिनीटस – किसी एक कान में सीटी जैसी आवाज आना
भोजन निगलने में समस्या
धुंधला दिखना
मोशन सिकनेस
सिर दर्द
आंखों को नियंत्रित करने में समस्या
चेहरे का पैरालिसिस
बोलने में परेशानी या हकलाना
थकावट लगना
जी मिचलाना
लेख के अगले भाग में हम वर्टिगो के घरेलू इलाज के बारे में जानेंगे।
वर्टिगो के घरेलू इलाज – Home Remedies To Cure Vertigo in Hindi
नीचे दिए गए घरेलू नुस्खों की मदद से आपको सिर घूमना से आराम मिल सकता है।
1. एसेंशियल ऑयल:
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क) वर्टिगो के लिए पेपरमिंट ऑयल:
सामग्री:
दो-तीन बूंद पेपरमिंट ऑयल
एक चम्मच बादाम का तेल
विधि:
दोनों तेलों को मिला लें।
अब इसे अपने माथे पर और गर्दन के पीछे लगाएं।
कैसे काम करता है:
शोध के अनुसार, पेपरमिंट तेल से वर्टिगो के लक्षण, जैसे सिर दर्द से आराम मिल सकता है (5)।
ख) अदरक का तेल:
सामग्री:
अदरक का तेल
विधि:
अदरक के तेल की एक-दो बूंदों को अपनी गर्दन, कानों के पीछे और तलवों पर लगाएं।
कैसे काम करता है:
वैज्ञानिक शोध के अनुसार, अदरक का तेल तनाव और सिर चकराना से राहत दिलाता है। साथ ही यह वर्टिगो के लक्षण जैसे, उल्टी आना और सिर दर्द से भी आराम दिलाता है (6)।
ग) ग्रेपफ्रूट ऑइल :
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सामग्री:
दो से तीन बूंद ग्रेपफ्रूट ऑयल
डीफ्युजर
विधि:
ग्रेपफ्रूट ऑयल को डीफ्युजर में डाल कर ��मरे के किसी कोने में रख दें।
कैसे काम करता है:
इसकी खुशबू से मन को शांत करने का काम कर सकती है। इसके अलावा, यह वर्टिगो के कारण हो रहे स्ट्रेस से राहत देने का काम कर सकता है। हालांकि, इस पर अभी ठोस वैज्ञानिक प्रमाण उपलब्ध नहीं हैं। वर्टिगो के लिए ग्रेपफ्रूट ऑयल का इस्तेमाल करने से पहले एक बार डॉक्टर से सलाह जरूर लें।
घ) तुलसी और साइप्रस का तेल :
सामग्री:
तुलसी के तेल की दो से तीन बूंदें
एक से दो बूंद साइप्रस का तेल
डिफ्यूजर
विधि:
दोनों एसेंशियल ऑयल को मिला लें।
ऑयल को डीफ्युजर में डाल कर कमरे में रख दें।
कैसे काम करता है:
तुलसी एक आयुर्वेदिक जड़ी-बूटी है, जिसमें दर्दनिवारक (analgesic) और अवसादरोधी (antidepressant) गुण पाए जाते हैं। यह वर्टिगो के लक्षण जैसे सिरदर्द से छुटकारा दिलाने में मदद कर सकती है। (7)।
ङ) लोबान तेल वर्टिगो के लिए
सामग्री:
चार से पांच बूंद लोबान तेल
विधि:
लोबान तेल की कुछ बूंदे लें और कंधों की मसाज करें।
कैसे काम करता है:
लोबान एंटी इंफ्लेमेटरी और दर्दनिवारक (analgesic) गुणों से समृद्ध होता है, जिसका सकारात्मक असर वर्टिगो पर भी दिख सकता है (8)। हालांकि, यह वर्टिगो के लिए कितना प्रभावकारी होगा, इस पर अभी वैज्ञानिक प्रमाण उपलब्ध नहीं है।
च) वर्टिगो के लिए क्लेरी सेज ऑयल
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सामग्री:
क्लेरी सेज ऑयल की कुछ बूंदें
डीफ्युजर
विधि:
क्लेरी सेज की कुछ बूंदें डीफ्युजर में डालकर कमरे में रख दें।
कैसे काम करता है:
क्लेरी सेज ऑयल की खुशबू वर्टिगो के लक्षण से आराम दिला सकती है।
नोट: ऊपर बताए गए तेल अरोमाथेरेपी की मदद से थकान और स्ट्रेस कम करने में लाभदायक हो सकते हैं (9), लेकिन इन पर कोई वैज्ञानिक शोध नहीं किया गया है। वर्टिगो के घरेलू उपचार में इनका लाभ लोगों की मान्यताओं पर आधारित है।
2. वर्टिगो के लिए अदरक:
सामग्री:
अदरक का टुकड़ा (कद्दूकस किया हुआ)
1 कप दूध
आधा चम्मच चाय पत्ती
शक्कर (स्वादानुसार)
विधि:
एक पैन में दूध को उबालें।
उबाल आ जाने पर उसमें चाय पत्ती और कद्दुकस किया हुआ अदरक डाल दें।
अब शक्कर डाल कर चाय को अच्छी तरह उबालें।
अच्छी त��ह उबल जाने पर, चाय को छन्नी से कप में छानकर पिएं।
आप अदरक के टुकड़े को छिलकर, उसे साबुत भी चबा सकते हैं।
कैसे काम करता है:
वर्टिगो के घरेलू उपचार में अदरक बहुत लाभदायक होता है। इसमें ऐसे गुण होते हैं, जो वर्टिगो के लक्षण, जैसे जी मिचलाना और उल्टी से राहत दिला सकते हैं (10)। साथ ही अदरक की जड़ों में वर्टिगो के उपचार करने वाले गुण होते हैं (11)।
3. वर्टिगो के लिए जिन्कगो बिलोबा (Ginkgo Biloba):
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सामग्री:
जिन्कगो बिलोबा टेबलेट
विधि:
डॉक्टर के ��िर्देशानुसार टेबलेट क��� सेवन करें।
कैसे काम करता है:
जिन्कगो बिलोबा एक औषधीय पौधा है, जिसे वर्टिगो का उपचार करने में बहुत लाभदायक माना गया है। इसकी टेबलेट बाजार में उपलब्ध है, जिसे आप अपने डॉक्टर के निर्देशानुसार, वर्टिगो के इलाज के लिए ले सकते हैं (12)।
4. वर्टिगो के लिए जूस:
सामग्री:
गाजर/अनानास/संतरे या नींबू का जूस
विधि:
रोज एक गिलास गाजर/अनानास/संतरे के जूस का सेवन करें। या
रोजाना एक चम्मच नींबू के रस को एक गिलास पानी में मिला कर पिएं।
आप नींबू पानी में स्वादानुसार नमक और एक चुटकी पीसी हुई काली मिर्च मिला सकते हैं।
कैसे काम करता है:
गाजर, अनानास, संतरे और नींबू में विटामिन-सी भरपूर मात्रा में मौजूद होता है (13), (14), (15), (16)। शोध के अनुसार, विटामिन-सी मोशन सिकनेस को कम करने में मदद कर सकता है (17)।
5. वर्टिगो के लिए एक्यूपंक्चर:
एक्यूपंक्चर एक पारंपरिक चाइनीज उपचार है। वर्टिगो के इलाज के लिए पश्चिमी चिकित्सकों द्वारा इसकी सलाह दी जाती है। यह सिर घूमना के लक्षण जैसे सिर दर्द व थकान आदि से आराम दिलाता है और रक्त प्रवाह को बेहतर करता है (18)। नीचे बताए गए एक्यूपंक्चर पॉइंट्स की मदद से आपका सिर घूमना कम हो सकता है :
गवर्निंग वेसल्स 20
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इसे जीवी 20 भी कहा जाता है। यह बिंदु सिर के ऊपरी केंद्र पर स्थित है, जिसे आप तस्वीर के माध्यम से ठीक से देख सकते हैं। यह सिर चकराना, सिरदर्द और स्ट्रोक से आराम दिलाता है और वर्टिगो के इलाज में लाभदायक होता है (19)।
गालब्लेडर 20:
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जीबी 20 पॉइंट आपके हेयरलाइन के ठीक नीचे और रीढ़ के दोनों ओर स्थित होता है। तस्वीर में इस बिंदु को साफ देखा जा सकता है। यह सिर, दिमाग और सेंस ओर्गंस से जुड़ी बीमारियों से राहत दिलाने में बहुत सहायक है। सिरदर्द के लिए यह आवश्यक एक्यूपंक्चर पॉइंट है (20)।
नोट – एक्यूपंक्चर का उपचार स्वयं न करें। यह उपचार करवाने के लिए किसी एक्यूपंक्चर विशेषज्ञ की मदद लें। साथ में डॉक्टरी परामर्श भी जरूरी है।
लेख के अगले भाग में हम जानेंगे कि वर्टिगो के दौरान आपका खान-पान कैसा होना चाहिए।
वर्टिगो के लिए आहार – Diet For Vertigo in Hindi
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वर्टिगो के मरीजों को फैट और कार्बोहाइड्रेट्स की मात्रा कम लेने की सलाह दी जाती है। साथ ही, आहार में फाइबर की मात्रा बढ़ाने की सलाह दी जाती है (23)। आप अ��ने आहार में नीचे दिए गए खाद्य पदार्थ शामिल कर सकते हैं:
सेब, केला, नाशपाती, आड़ू आदि फल फाइबर से भरपूर होते हैं। साथ ही आप होल ग्रेन ब्रेड, ब्राउन राइस और ओटमील भी खा सकते हैं (24)।
वर्टिगो के लिए आहार में आप गाजर, पालक, उबले हुए आलू, मशरूम और कद्दू भी खा सकते हैं (24)।
विटामिन बी-12 से भरपूर खाद्य पदार्थ खाएं (25)। इसकी कमी से टिनीटस होने की आशंका बढ़ जाती है (26)।
अपने आहार में नमक की मात्रा कम करें (27)। ऐसे खाद्य पदार्थ खाने से बचें, जिनमे नमक (सोडियम) की मात्रा ज्यादा हो, जैसे हेम, बेकन, सलामी, बोलोंगा, आदि (28) (29) (30) (31)।
डिब्बाबंद खाद्य पदार्थों को खाने से बचें। ज्यादा समय तक ताजा रखने के लिए इनमें ज्यादा नमक मिलाया जाता है।
मैक्रोनी, चीज, ऑलिव और पैकेट बंद चिप्स भी अपने आहार में शामिल न करें।
इनके अलावा कैफीन और शराब का सेवन भी न करें (32)।
आइए आगे जानते हैं कि आप वर्टिगो के लिए किस तरह की एक्सरसाइज कर सकते हैं।
वर्टिगो के लिए एक्सरसाइज – Exercises For Vertigo in Hindi
डॉक्टरों द्वारा निर्देशित कुछ एक्सरसाइज करने से आपको वर्टिगो का इलाज करने में सहायता मिल सकती है (33)।
स्टैंडिंग अपराइट – इसे रोमबर्ग एक्सरसाइज भी कहते हैं। इसे करने के लिए आप दीवार पर पीठ लगाकर सीधे खड़े हो जाएं और अपने आगे सहारे के लिए कुर्सी रखें। आपके हाथ नीचे की ओर बिल्कुल सीधे होने चाहिए। इस अवस्था में आप करीब 30 सेकंड तक खड़े रहें और इसे करीब 5 बार करें। जब आप इसमें अभ्यस्त हो जाएं, तो इसी एक्सरसाइज को आंखें बंद करके करें।
सामने और पीछे की ओर घूमना – स्टैंडिंग अपराइट की तरह इसमें भी दीवार के सहारे सीधे खड़े रहें। अपने पैरों को कंधे की चौड़ाई के बराबर खोल लें और हाथों को सीधा बगल में रखें। अब अपने शरीर को आगे-पीछे करते हुए बारी-बारी से पूरे शरीर के भार को पहले एड़ियों से पंजों पर और फिर पंजों से एड़ियों पर लेकर आए। इसे दौरान आपके कूल्हे सीधे रहने चाहिए। इसे आप करीब 20 बार दोहराएं।
बाएं से दाएं झुकना– फिर से इसी स्थिति में अपने पैरों को फर्श से हटाए बिना पहले बाएं से दाएं और फिर दाएं से बाईं ओर झुकें। इसे 20 बार दोहराएं।
इन एक्सरसाइज को आप दिन में दो बार कर सकते हैं। वहीं, जब वर्टिगो का अटैक आए, तो आप नीचे दी हुई एक्सरसाइज कर सकते हैं।
द ब्रांट-डारॉफ एक्सरसाइज – इस अभ्यास को सिर घूमना के लक्षणों से जल्दी राहत दिलाने के लिए किया जाता है। इसे करने के लिए –
सबसे पहले पलंग या सोफे के किनारे पैर लटकाकर बैठ जाएं।
अब बाईं तरफ झुकना शुरू करें और दो-तीन सेकंड के लिए लेट जाएं।
यह करते हुए आपका सिर 45 डिग्री एंगल पर ऊपर की ओर उठा होना चाहिए।
इसके बाद सामान्य अवस्था में आ जाएं और 30 सेकंड के लिए बैठें।
फिर दाईं तरह से झुकना शुरू करें और दो-तीन सेकंड के लिए लेट जाएं।
एक बार फिर सामान्य अवस्था में आ जाएं और 30 सेकंड के लिए बैठें।
यह प्रक्रिया एक बार में पांच बार दोहराएं।
वर्टिगो के उपचार के लिए ध्यान रखें कि बहुत देर बैठे या लेटे रहने के बाद अचानक से खड़े न हो जाएं। कोई भी ऐसा काम न करें, जिससे आपकी आंखों पर प्रभाव पड़े। पूरी नींद लें, संतुलित आहार लें और रोज व्यायाम करें। इन बातों को ध्यान में रखने से आपका सिर घूमना कम हो सकता है। साथ में इस बात का भी ध्यान रखें, कि वर्टिगो के लिए कोई भी एक्सरसाइज अकेले में न करें। गंभीर स्थिति में किसी को अपने साथ रखें और डॉक्टर से जल्द से जल्द संपर्क करें।
अक्सर पूछे जाने वाले सवाल
क्या वर्टिगो को रोका जा सकता है?
जी हां, वर्टिगो को रोका जा सकता है। ब्लड शुगर, कोलेस्ट्रॉल और ब्लड प्रेशर को नियंत्रित रख कर वर्टिगो से बच सकते हैं। इसके साथ नियमित रूप से व्यायाम करने और संतुलित आहार करने से भी वर्टिगो से छुटकारा मिल सकता है।
वर्टिगो कितने समय तक रहता है?
यह अटैक कुछ मिनट से लेकर कुछ घंटों तक रह सकता है। ज्यादातर मामलों में यह दो से तीन घंटे में शांत हो जाता है (29)।
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श्वास रोग और खाँसी : श्वास रोग (दमा) तथा खांसी में सत्यानाशी की जड़ का चूर्ण आधा से 1 ग्राम गर्म पानी या दूध के साथ सुबह-शाम रोगी को पिलाने से कफ (बलगम) बाहर निकल जाता है, अथवा सत्यानाशी का पीला दूध 4-5 बूंद बतासे में मिलाकर सेवन करने से लाभ होता है।
दाद : सत्यानाशी के पत्ते का रस या तेल को लगाने से दाद दूर हो जाता है।
मूत्रविकार : मूत्रनली (पेशाब करने की नली) में यदि जलन हो तो सत्यानाशी के 20 ग्राम पंचांग को 200 मिलीलीटर पानी में भिगोकर तैयार कर शर्बत या काढ़ा रोगी को पिलाने से मूत्र (पेशाब) अधिक आता है और मूत्रनली (पेशाब करने की नली) की जलन मिट जाती है।
पीलिया : 10 मिलीलीटर गिलोय के रस में सत्यानाशी के तेल की 8 से 10 बूंद मिलाकर सुबह-शाम रोगी को पिलाने से पीलिया रोग समाप्त हो जाता है। 1 ग्राम सत्यानाशी की जड़ की छा��� का चूर्ण सेवन करने से पाण्डु (पीलिया) रोग मिट जाता है।
पेट का दर्द : सत्यानाशी के 3 से 5 मिलीलीटर पीले दूध को 10 ग्राम घी के साथ रोगी को पिलाने से पेट का दर्द मिट जाता है।
आंखों के रोग : सत्यानाशी के दूध की 1 बूंद मे 3 बूंद घी मिलाकर आंखों में अंजन (काजल) करने से आंखों का सूखापन और आंखों का अंधापन दूर होता है।
दमे के रोग में : सत्यानाशी के पंचाग (जड़, तना, पत्ते, फल, फूल) का 500 मिलीलीटर रस निकालकर आग पर उबालना चाहिए। जब वह रबड़ी की तरह गाढ़ा हो जाए तब उसमें पुराना गुड़ 60 ग्राम और राल 20 ग्राम मिलाकर, गर्म कर लें। फिर इसकी लगभग 1 ग्राम का चौथा भाग की गोलियां बना लेनी चाहिए, 1 गोली दिन में 3 बार गर्म पानी के साथ रोगी को देने से दमें के रोग में लाभ होता है।
कुष्ठ रोग : सत्यानाशी के रस में थोड़ा नमक मिलाकर रोजाना 5 सें 10 मिलीलीटर की मात्रा मे लम्बे समय तक सेवन करने से कुष्ठ रोग (कोढ़) में लाभ होता है।
मुंह के छाले : सत्यानाशी की टहनी तोड़कर मुंह के छालें पर लगाने से मुंह के छाले ठीक हो जाते हैं।
कान का दर्द : सत्यानाशी का तेल कान में डालने से कान का दर्द, कान का जख्म और कान से कम सुनाई देना भी ठीक हो जाता है।
हकलाना, तुतलाना : सत्यानाशी का दूध जीभ पर मलने से हकलाने का रोग ठीक हो जाता है।
बवासीर (अर्श) : सत्यानाशी की जड, सेंधा नमक और चक्रमर्द के बीज को 1-1 ग्राम की मात्रा में लेकर चूर्ण बना लें। इस चूर्ण को छाछ के साथ पीने से अर्श (बवासीर) रोग नष्ट होता है।
पथरी : सत्यानाशी का दूध निकाल कर लगभग 1 मिलीलीटर की मात्रा में रोजाना लेने से पेट की पथरी ठीक हो जाती है।
नाक के रोग : सत्यानाशी (पीला धतूरा) के पीले दूध को घी में मिलाकर नाक की फुंसियों पर लगाने से आराम आ जाता है।
कुष्ठ (कोढ़) : 25 मिलीलीटर सत्यानाशी (पीला धतूरा) के रस में 10 ग्राम शहद मिलाकर पीने से कोढ़ ठीक हो जाता है।
मलेरिया का बुखार : 1 से 2 मिलीलीटर सत्यानाशी का दूध सुबह और शाम नींबू के रस के साथ पीने से मलेरिया के बुखार में लाभ होता हैं।
दांतों में कीड़े लगना : सत्यानाशी के बीज को जलाकर इसके धूंए को मुंह में रखने से दांत के कीड़े दूर होते हैं और दांत का दर्द दूर होता है।
खांसी : सत्यानाशी की कोमल जड़ को काटकर छाया में सुखा लें सूख जाने पर उसका चूर्ण बना लें। इसमे बराबर मात्रा मे कालीमिर्च का चूर्ण मिलायें और लहसुन के रस में 3 घंटे घोलकर चने के आकार की गोलियां बनायें। रोजाना 3-4 बार 1-1 गोली ताजे पानी के साथ रोगी को देना चाहिए। अथवा रोगी इन गोलियों को खांसी के वेग के समय मुंह में रखकर भी चूस सकता है। यह गोली तेज खांसी को भी काबू मे ले आती है। सत्यानाशी के रस में 8 साल पुराना गुड़ मिलाकर चने के बराबर आकार की गोलियां बनाकर खाने से खांसी दूर हो जाती है। औषधि के सेवन काल में नमक का सेवन बिल्कुल भी करना चाहिए।
कब्ज के लिए : 10 ग्राम सत्यानाशी की जड़ की छाल, और 5 दाने काली मिर्च के लेकर पानी में पीसकर लेने से पेट का दर्द शांत हो जाता है। 1 ग्राम से 3 ग्राम तक सत्यानाशी के तेल को पानी में डालकर पीने से पेट साफ हो जाता है। 6 ग्राम से 10 ग्राम सत्यानाशी की जड़ की छाल पानी के साथ खाने से शौच साफ आती है। सत्यानाशी के बीज के तेल की 30 बूंद को दूध में मिलाकर सु��ह और शाम सेवन करने से कब्ज (पेट की गैस) दूर होती है।
पेट के कीड़ों के लिए : सत्यानाशी की जड़ की छाल का चूर्ण लगभग आधा ग्राम चूर्ण से लेकर 1 ग्राम की मात्रा में सेवन करने से आंतों के कीड़े नष्ट हो जाते हैं। 2 चुटकी सत्यानाशी की जड़ को पीसकर बारीक चूर्ण बनाकर पानी के साथ पीने से पेट के कीड़े समाप्त हो जाते हैं।
एक्जिमा के रोग में : सत्यानाशी के पौधे के ताजे रस मे पानी मिलाकर भाप द्वारा उसका रस तैयार करें। यह 25 मिलीलीटर रस सुबह और शाम पीने से एक्जिमा और त्वचा के दूसरे रोग समाप्त हो जाते हैं। अथवा सत्यानाशी (पीला धतूरा) के ताजे पौधे के रस में बराबर मात्रा में पानी मिलाकर उसका रस निकाल लें। यह रस 25 मिलीलीटर रोजाना सुबह और शाम पीने से एक्जिमा और दूसरे चमड़ी के रोग समाप्त हो जाते हैं।
खुजली के लिए : सत्यानाशी के बीज को पानी के साथ पीसकर लगाने से या उसका लेप त्वचा पर करने से खुजली दूर होती है।
नाखून के रोग : नाखूनों की खुजली दूर करने के लिए सत्यानाशी की जड़ को घिसकर रोजाना 2 से 3 बार नाखूनों पर लेप करने से नाखूनों के रोग समाप्त हो जाते हैं।
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सिद्ध अयूर्वादिक ★सौंफ के हैरान करने वाले गुण★ सौंफ की तासीर ठंडी होती है। सौंफ का तेल भी कई प्रकार के रोगों क�� उपचार के लिए काम में आता है। सौंफ में कैल्शियम, सोडियम, फॉस्फोरस, आयरन और पोटेशियम जैसे महत्वपूर्ण तत्व होते हैं। पेट के कई विकारों जैसे मरोड़, दर्द और गैस्ट्रो विकार, अस्थमा, कफ और खाँसी का इलाज हो सकता है और कॉलेस्ट्रोल भी काबू में रहता है। लीवर और आँखों की ज्योति ठीक रहती है। गुड़ के साथ सौंफ खाने से मासिक धर्म नियमित होता है। तवे पर भुनी हुई सौंफ से अपच के मामले में बहुत लाभ होता है। सौंफ पेट साफ करने वाला, हृदय को शक्ति देने वाला, घाव, उल्टी, दस्त, खांसी, जुकाम, बुखार, अफारा, वायु विकार, रतौंधी, बवासीर (अर्श), पित्त, रक्तविकार, ज्वर, वमन (उल्टी), अनिंद्रा और अतिनिंद्रा, पेट के सभी रोग (अपच, कब्ज (अजीर्ण) दस्त, खाने के बाद तुरंत दस्त लग जाना, आंव आना, पेट का दर्द, खूनी बवासीर, पाचन, मासिक स्राव, संग्रहणी, बच्चो के दांत निकलना, खाज-खुजली, आंखों की रोशनी के लिए, दिन में दिखाई न देना, मोतियाबिन्द, बांझपन व गर्भपात, धूम्रपान, मुंह के छाले, याददास्त का कमजोर होना, अधिक भूख लगना, हिचकी आना, कान का दर्द, मुंह की दुर्गन्ध, मूत्ररोग, हकलाना, तुतलाना, बहरापन, मासिकधर्म सम्बंधी परेशानियां, प्यास अधिक लगना, गर्मी अधिक लगना, सिर का दर्द, माइग्रेन, स्तनों में दूध की कमी, नकसीरी, बेहोशी, हैजा, हृदय सम्बंधी परेशानियां, मानसिक पागलपन, नाभि का हटना (धरण) पसीना लाने के लिए शारीरिक शक्ति आदि के लिए प्रयोग किया जाता है। सौंफ की उपयोगिता:- सौंफ पीसकर प्रतिदिन सुबह पानी के साथ सेवन से पेट सम्बंधित सभी रोगो के लिए लाभकारी हैं। ★★ बदहजमी होने पर सौंफ को उबालकर छान कर गुनगुना ठंडा करके पीने से गैस एवं बदहजमी दूर होती है। सौंफ को पीसकर सिर पर लेप कने से सिर दर्द, गर्मी व चक्कर आना शांत होता है। ★★ सौंफ के पत्तों का रस पानी में मिलाकर रोगी को पिलाने से पसीना आने लगता है। ★★ सौंफ का रस दही के साथ मिलाकर हर रोज 2-3 बार सेवन करने अधिक भूख पर रोक लगती है। ★★ सौंफ का शरबत बनाकर पीने से जी का मिचलाना बंद हो जाता है और पेट की गर्मी भी शांत हो जाती है। ★★ सामान मात्रा में सौंफ का रस और गुलाबजल मिलाकर पीने से हिचकी आना रुक जाती है। ★★ सौंफ और थोड़े से पुदीने के पत्ते आधा रह जाने तक पानी में उबालें। इस पानी को ठंडा करके दिन में तीन बार सेवन करने से उल्टी होने पर या जी घबराने पर आराम आता है। ★★ पेट में वायु की शिकायत हो तो कुछ दिनों तक दाल अथवा सब्जी में सौंफ का छोंक लगा कर प्रयोग करे। ★★ सौंफ में लौंग डालकर पानी में उबालकर काढ़ा बनाए इसे छानकर देशी बूरा ��ा खांड मिलकर पीने से जुकाम शीघ्र ही ठीक हो जाता है। ★★ सौंफ को घी में सेंक कर रख लें। जब भी धूम्रपान की तलब लगे तो इसे चबाये इससे धुम्रपान की लत धीरे धीरे छूट जाएगी। ★★ सौंफ, धनिया व मिश्री समान मात्रा में लेकर चूर्ण बनाकर भोजन के बाद एक चम्मच लेने से हाथ-पाँव और पेशाब की जलन, एसिडिटी व सिरदर्द का उपचार हो जाता है। ★★ सौंफ और मिश्री का समान मात्रा में मिलाकर चूर्ण बना कर रख ले। खाने के बाद इस मिश्रण के दो चम्मच सुबह शाम दो महीने तक सेवन करने से दिमागी कमजोरी दूर हो जाती है तथा मंदाग्नि भी दूर होती है। ★★ सौंफ ,धनिया और मिश्री मिलाकर दिन में दो तीन बार पानी के साथ लेंने से माइग्रेन दर्द (आधे सिर का दर्द) दूर होता है। ★★ बच्चों के पेट के रोगों में दो चम्मच सौंफ का चूर्ण एक गिलास पानी में एक चौथाई पानी शेष रहने तक अच्छी तरह उबाल कर काढ़ा बना ले और छानकर ठण्डा कर लें। इसे दिन में तीन-चार बार एक-एक चम्मच पिलाने से पेट का अफारा, अपच, उलटी ,प्यास, जी मिचलाना, पित्त-विकार, जलन, पेट दर्द, भूख में कमी, पेचिश मरोड़ आदि शिकायतें दूर होती हैं। ★★ सौंफ और मिश्री को पीसकर प्रतिदिन दूध के साथ सेवन से खूनी बवासीर से छुटकारा मिलता है। या सौंफ, जीरा और धनियां को मिलाकर काढ़ा बनाये इसमें देशी घी मिलाकर नियमित सेवन करने से खूनी बवासीर से निजात मिलती है। ★★ सौंफ रक्तशोधक एवं चर्मरोग नाशक है। खालिस सौंफ (बिना कुछ मिलाए) एक एक चम्मच सुबह शाम रोजना चबाने से या ठंडे पानी से नियमित सेवन करने से खून साफ हो जाता है और त्वचा भी साफ हो जाती है। प्यास उल्टी जी मिचलाना अजीर्ण पेट में दर्द और जलन पित्त विकार मरोडे आंव आदि में भी सौफ का सेवन बेहद लाभकारी होता है। ★★ सौंफ, जीरा और धनिये को बराबर मात्रा मिलाकर काढ़ा बनाये इसे सुबह-शाम सेवन से या सौंफ और मिश्री को पीसकर चूर्ण बना ले प्रतिदिन सुबह-शाम दूध के साथ सेवन से बवासीर के रोगो में लाभ होता है। ★★ सौंफ, कालानमक और कालीमिर्च को 10 : 2 : 1 के अनुपात में लेकर पीस ले और सुबह-शाम खाना खाने के बाद एक चम्मच गर्म पानी के साथ लेने से कब्ज और कब्ज से उत्पन्न गैस, मरोड़ व पेट दर्द भी ठीक होता है। ★★ सौंफ और हरड़ को बार��क पीसकर चूर्ण बना लें। रात को खाना खाने के बाद यह चूर्ण सेवन करने से कब्ज दूर हो जाती है। अथवा बराबर का जीरा और सौंफ ले और दो दो गुना मात्रा में एलोवेरा का गूदा और सोंठ को मिलाकर पीस ले और छोटी-छोटी गोलियां बना लें और कब्ज के लिए एक गोली सुबह-शाम पानी के साथ ले। सौंफ की जड़ को सुबह-शाम सलाद के रूप में सेवन करने से कब्ज नष्ट होता है। ★★ बुखार में रोगी यदि बार-बार उल्टी करता हो तो हरी सौंफ को पीसकर उसका रस निकालकर थोड़ी-थोड़ी देर बाद रोगी को पिलाएं। या सौंफ का काढ़ा बनाकर, छानकर इसमें थोड़ी सी मिश्री मिलाकर रोगी को पिलाएं तथा सौंफ के चूर्ण का सेवन करने से भी उल्टी बंद हो जाती है। ★★ ●आंव को ठीक करे यह नुस्खा● सौंफ को घी में भून कर इसमें मिश्री मिलाकर चूर्ण बना लें। यह चूर्ण हर रोज एक चम्मच 3 बार ठंडे पानी के साथ सेवन से आंव दस्त में आराम होता है। सौंफ का तेल, मिश्री में मिलाकर हर रोज तीन चार बार सेवन करने से दस्त में आंव आना बंद होता है। अथवा 4 : 2 :1 के अनुपात में सौंफ, बेलगिरी और ईसबगोल का मिश्रण बना ले इस चूर्ण के सेवन करने से आंव दस्त बंद हो जाता है। या सौंफ, धनिया और भुना हुआ जीरा ये सब बराबर मात्रा में लेकर खूब पीस ले थोड़ी-थोड़ी मात्रा में दिन में तीन बार मट्ठे के साथ सेवन करे आंव दस्त में आराम मिलेगा । सौंफ और छोटी हरड़ सामान मात्रा में लेकर घी में भून लें और कुल मात्रा के बराबर मिश्री मिलाकर चूर्ण बना लें। इस चूर्ण का सेवन करने से दस्तो में आराम आता है। और लस्सी, दही या रस के साथ सौंफ का चूर्ण पीने से दस्त में आंव व खून आना बंद होता है। ■हम आप की सेवा में है■ ◆ किसी भी शरीरक स्मयसा के लिए◆ ●निशुल्क सिद्घ अयूर्वादिक सलाह ले● Whats 94178 62263 [email protected] [email protected] http://www.ayurvedasidh.blogspot.com/
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वात व पित्त के साथ ही तमाम रोगों से छुटकारा दिलाने में सहायक है सौंफ Divya Sandesh
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वात व पित्त के साथ ही तमाम रोगों से छुटकारा दिलाने में सहायक है सौंफ
लखनऊ। भोजन के बाद सौंफ खाने की पुरानी परंपरा रही है। यह परंपरा यूं ही नहीं है। विटामिन सी, आयरन, मैगनीज से भरपूर सौंफ भोजन को पचाने में बहुत सहायक है। इसके साथ ही सांस, वात से संबंधित रोगों से छुटकारा दिलाने में भी सहायक है।
इस संबंध में आयुर्वेदाचार्य डॉक्टर एसके राय ने बताया कि एक चम्मच (छह ग्राम) सौंफ में दो ग्राम फाइबर, दैनिक जरूरत का एक प्रतिशत विटामिन सी, पांच प्रतिशत कैल्शियम, छह प्रतिशत आयरन, पांच प्रतिशत मैग्निशियम, दो प्रतिशत पोटेशियम, 17 प्रतिशत मैगनीज पाया जाता है। उन्होंने हिन्दुस्थान समाचार से विशेष वार्ता में कहा कि सौंफ वात के साथ ही पित्त को शांत करता है। इससे भूख बढ़ती है और भोजन पचता है। वीर्य की वृद्धि करता है। हृदय, मस्तिष्क तथा शरीर के लिए लाभकारी होता है। यह गठिया, बुखार आदि वात रोग, घावों, दर्द, आँखों के रोग, अपच, कब्ज की समस्या में फायदा पहुंचाता है। इसके साथ ही यह पेट में कीड़े, प्यास, उल्टी, पेचिश, बवासीर, टीबी आदि रोगों को ठीक करने में भी सहायता करता है। इसके अलावा सौंफ का प्रयोग कई अन्य रोगों में भी किया जाता है।
उन्होंने कहा कि सौंफ की जड़ के चूर्ण का सेवन करने से कब्ज में लाभ होता है। इसके बीज का 5-10 मिली मात्रा में भोजन के प्रत्येक ग्रास के साथ छोटे बच्चों को पिलाने पर कब्ज दूर होता है। इसके सेवन करने से डकार और पेट की गैस की समस्या ठीक होती है।
डॉ. राय ने बताया कि इसको पानी के साथ पीसकर ललाट पर लगाने से सिरदर्द से आराम मिलता है। सौंफ के पत्ते के रस में रूई को भिगोकर आंखों पर रखने से जलन, दर्द तथा लालिमा की परेशानी ठीक होती है। इसके नियमित सेवन करने से आंखों के रोग ठीक होते हैं तथा आंखों की रोशनी बढ़ती है। सौंफ खाने से आंख के रोग में फायदा मिलता है।
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उन्होंने बताया कि अंजीर के साथ सौंफ का सेवन करने से सूखी खांसी, गले की सूजन से राहत जल्दी मिलती है। इसका काढ़ा बनाकर उसमें फिटकरी मिलाकर गरारा करने से मुंह के छालों में लाभ होता है। सौंफ में बराबर मिश्री मिलाकर सेवन करने से मुंह से बदबू आने की परेशानी ठीक होती है। हकलाने की बीमारी में 15-30 मिली सौंफ काढ़ा में मिश्री तथा गाय का दूध मिलाकर पिएं। इससे हकलाना की परेशानी कम होती है।
उन्होंने कहा कि सौंफ, वच, कूठ, देवदारु, रेणुका, धनिया, खस तथा नागरमोथा को बराबर मात्रा में लेकर उसका काढ़ा बना लें। इसमें मधु तथा मिश्री मिला लें। इसे 25-50 मिली की मात्रा में सुबह और शाम पीने से वात दोष के कारण होने वाला बुखार ठीक हो जाता है।
उन्होंने कहा कि 5-10 मिली सौंफ पत्तों के रस को पीने से पूरे शरीर का दर्द ठीक होता है। उन्होंने कहा कि 10-30 मिली सौंफ काढ़ा में नमक मिलाकर पीने से अधिक नींद आने की परेशानी ठीक होती है। 10-30 मिली सौंफ के काढ़ा में 100 मिली गाय का दूध तथा घी मिलाकर पिलाने से नींद अच्छी आती है।
डॉ राय ने कहा कि 6-12 ग्राम शतपुष्पादि घी को गुनगुने दूध अथवा जल के साथ सेवन करें। इससे वात, पित्त, मेद, मूत्र रोग में फायदा होता है। इसके साथ ही मोटापा, फाइलेरिया (हाथीपाँव) तथा लीवर और तिल्ली की वृद्धि जैसी बीमारी में लाभ होता है।
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